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Uncontested Election (निर्विरोध निर्वाचन)

वर्ष 2009 के लोकसभा उपचुनाव में कड़े मुकाबले में पराजय का सामना करने वाली डिंपल यादव कन्नौज लोकसभा में उपचुनाव में निर्विरोध सांसद चुनी गई थी। इसके साथ ही वह देश की पहली महिला बन गई है, जो निर्विरोध सांसद चुनी गई थी।


       कोई भी प्रत्यासी तभी निर्विरोध चुना जाता है, जब उसके खिलाफ चुनाव मैदान में कोई अन्य प्रत्याशी नही होता। ऐसी स्थिति में बिना मतदान कराए निर्वाचन अधिकारी चुनाव मैदान में खड़े एकमात्र प्रत्याशी को विजेता घोषित कर देता है। विरोध में किसी प्रत्याशी के खड़े नही होने की कई वजहें हो सकती है। पहला तो यही कि निर्विरोध निर्वाचित प्रत्याशी की जीत की संभावना इतनी प्रबल होती है कि इसके खिलाफ कोई खड़ा नही सकता है कि अन्य प्रत्याशियों के परचे किन्ही कारणवश या तो खारिज हो जाए अथवा वे अपने परचे वापस ले लें। हालांकि आलोचक निर्विरोध निर्वाचन को लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ मानते हैं और इसके पीछे दूसरो को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दबाव की संभावना जताते हैं।


        अपने देश मे संसदीय लोकतंत्र की शुरुआत से ही निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा जारी है। डिंपल यादव समेत अब तक देश मे कुल 44 व्यक्ति निर्विरोध सांसद चुने गए हैं। पहली बार 1952 मे लोकसभा उपचुनाव में तीन प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे, जिसमे प्रमुख कांग्रेसी नेता पुरुषोत्तम दास टंडन शामिल थे। वह उत्तर प्रदेश से निर्विरोध चुने जाने वाले पहले व्यक्ति थे। उसके बाद 1962 में टिहरी लोकसभा सीट से महाराज मानवेन्द्र शाह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे और अब डिंपल यादव निर्विरोध जीत कर प्रदेश की ऐसी तीसरी हस्ती बन गई है।
Uncontested Election (निर्विरोध निर्वाचन)  Uncontested Election (निर्विरोध निर्वाचन) Reviewed by Akash on April 30, 2020 Rating: 5

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