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Decision Review System (DRS)

क्रिकेट की दुनिया मे अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली को लेकर ICC और BCCI के बीच जंग छिड़ चुकी है दरअसल यह एक नई तकनीक आधारित समीक्षा प्रणाली हैं, जिसका इस्तेमाल बल्लेबाज के आउट होने या न होने की स्थिति में मैदान में मौजूद अंपायरों के विवादास्पद फैसलों की समीक्षा के लिए किया जाता है।




 इसे संक्षेप में UDRS या DRS कहा जाता है। इसका पहले-पहल प्रयोग न्यूज़ीलैंड और पाकिस्तान के बीच ड्यूनेडिन मे खेले गए टेस्ट मैच में किया गया था। अंतराष्ट्रीय एकदिवसीय मैचों में पहली बार जनवरी, 2011 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इंग्लैंड की श्रृंखला में इसका इस्तेमाल किया गया था।



जुलाई 2008, श्रीलंका में भारत की टेस्ट श्रृंखला में एक नए निर्णय की समीक्षा प्रणाली (DRS) का उद्घाटन किया गया। डीआरएस के तहत जिन 12 फैसलों को पलट दिया गया, उनमें से केवल एक भारत का पक्षधर था। 2008 में भारत के पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की lbw UDRS (जैसा कि तब कहा जाता था) के तहत पलट गया पहला फैसला बन गया।





इस प्रणाली को आधिकारिक तौर पर नवंबर 2009 में टेस्ट में पेश किया गया था। सितंबर 2013 में, टीमों को 80 ओवर के बाद अपनी समीक्षा की गणना को फिर से करने की अनुमति देने के लिए नियम बनाए गए थे। 2016 में, lbw के निर्णयों में गेंद और स्टंप के बीच संपर्क के फ्रेम को चौड़ा करने के लिए मापदंड को बदल दिया गया था।


2016 में, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने डीआरएस के हिस्से के रूप में अंपायर के कॉल की शुरुआत की, ऑन-फील्ड अंपायरों को निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें सीमांत lbw निर्णयों के मामले में संदेह का लाभ दिया।



इसलिए, एक lbw निर्णय के लिए, यदि या तो प्रभाव, गेंद जहां पिच या अनुमानित गेंद पथ के रूप में यह स्टंप गुजरता है अंपायर की कॉल के रूप में, ऑन-फील्ड अंपायर का निर्णय (आउट या नॉट आउट) अंतिम होगा। हालाँकि, अंपायर की कॉल अंतिम निर्णय में शामिल होने पर, उनकी समीक्षा नहीं खोनी चाहिए।





क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम का कप्तान या बल्लेबाज हाथ से अंग्रेजी के वर्णमाला के टी का संकेत कर अंपायर के फैसले को चुनोती दे सकता है। इसे स्वीकार कर लेने पर थर्ड अंपायर फैसले की समीक्षा करता है। जबकि मैदान में मौजूद अंपायर रन आउट एवं स्टंपिंग या गेंद कब सीमारेखा पर काने संबधी निर्णयों कज समीक्षा के लिए थर्ड अंपायर से आग्रह कर सकते हैं। लेकिन चुनोती का उपयोग आउट करार दिए जाने की स्थिति में ही किया जा सकता है।


प्रारंभ में, प्रत्येक टीम में तीन असफल डीआरएस चुनौतियां थीं, लेकिन वह टेस्ट क्रिकेट में दो प्रति पारी और वनडे और टी 20 आई में एक पारी में घटा दी गई थी। सफल चुनौतियां टीमों को किसी भी बिंदु पर DRS चुनौती को बनाए रखने की अनुमति देती हैं। एक टेस्ट की पहली पारी से छोड़ी जाने वाली चुनौतियां दूसरी पारी तक नहीं चलती हैं।


      इस प्रणाली में प्रत्येक टीम को एक पारी में दो विफल समीक्षा की अनुमति होती हैं। क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम इसका प्रयोग अंपायर द्वारा नॉट आउट करार देने पर कर सकती है, जबकि बल्लेबाजी करने वाली टीम इसका प्रयोग आउट करार दिए जाने पर कर सकती है। 
Decision Review System (DRS) Decision Review System (DRS) Reviewed by Akash on May 03, 2020 Rating: 5

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