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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (वार्षिक गीत 2022)


परम वैभवी भारत होगा, संघ शक्ति का हो विस्तार।

गूंज उठे- गूंज उठे, भारत मां की जय जयकार।।

भारत मां की जय जयकार।।


व्यक्ति और परिवार प्रबोधन, समरसता का भाव बढ़े।

नित्य मिलन चिंतन मंथन से, संघठना का भाव जगे।

इसी भाव के बल से गूंजे, देशभक्ति की फिर हुंकार।।

गूंज उठे- गूंज उठे, भारत मां की जय जयकार।।


हो किसान या हो श्रमजीवी, व्यवसायी या सैनिक हो।

अध्यापक, विद्यार्थी, सेवक, वैज्ञानिक या लेखक हो।

देशभक्ति और स्वावलंबिता, शिक्षा में हो ये संस्कार।

गूंज उठे- गूंज उठे, भारत मां की जय जयकार।।


हिंदू संस्कृति की संरचना, मानवता का लक्षण है।

जीव दया सृष्टि की पूजा, यह स्वभावगत लक्षण है।

शुद्ध गगन पानी माटी से, निर्विकार बन बहे बयार।

गूंज उठे- गूंज उठे, भारत मां की जय जयकार।।


शुभ परिवर्तन करने को अब, हम ऐसा संकल्प करें।

अखंड भारत का यह सपना, सब मिलकर साकार करें।

बाधा कोई रोक न सकती, जन्म सिद्ध अपना अधिकार।

गूंज उठे- गूंज उठे, भारत मां की जय जयकार।।



सुभाषित

यद्दुरं यद्दुराराध्य, यच्च दूरे व्यवस्थितं।

तत्सर्वं तपसा सांध्य तपो हि दुरतिक्रमम।

भावार्थ:- कोई वस्तु चाहे कितनी ही दूर क्यों ना हो तथा उसका मिलना कितना ही कठिन क्यों ना हो और वह पहुंच से भी बाहर क्यों ना हो कठिन तपस्या अर्थात परिश्रम से उसे प्राप्त किया जा सकता है


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (वार्षिक गीत 2022) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (वार्षिक गीत 2022) Reviewed by Akash on June 19, 2022 Rating: 5

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